‘गरीब कि अमीरी’ — ‘Chu Kar Mere Man Ko’ Part 4
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(Continuing the #ElectrosteelGroup initiative ‘Chu Kar Mere Man Ko (‘You Touched My Heart’), where employees share an incident that touched their hearts.)
Bijay Kr Singh writes:
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22 मार्च 2020 कि थाली बज चुकी थी। उसके बाद वाले दिन ही पुरे भारत में Lockdown कि घोषणा माननीय प्रधानमंत्री जी के द्वारा जारी कर दी गई थी। कुछ दिन बाद से ही हाहाकार मच गया। अफरा-तफरी के माहौल में लोगों के खाने के लाले पडनें लगे। अनेकों उधोगपतियों, सरकारी अमलों के साथ — साथ बहुत सारे समाज सेवी संगठनों ने आगे बढ़कर काम करना शुरू कर दिया था।
मैंनें भी अपने मित्र-मंडली के साथ बातचीत करके कुछ करने का सोचा। सब लोग एक बार में ही तैयार हो गए। दुसरे दिन से ही खानें का डब्बा बनाकर हमलोग बगल के रेलवे स्टेशनों पर रह रहे बहुत सारे बेघर लोगों को देना शुरू कर दिया। हमलोगों के बजट के हिसाब से तीन दिन कि सेवा होनी थी। जब हमलोग दुसरे दिन खानें का पैकेट लेकर रेलवे स्टेशन पहुंचे और खाना बांटते हुए आगे बढ़ाना शुरू ही किया था कि, पीछे से एक आवाज आई। मैंने जब मुड़कर पीछे देखा एक अधमरा सा ब्यक्ति फटे पुराने कपड़े पहने हमलोगों के तरफ कुछ कहते हुए आ रहा है। मेरा पैर वहीं थम गया। वह ब्यक्ति मेरे नजदीक आकर अपने फटे पुराने गमछे के कोने को खोलते हुए बोला “बाबू आपलोग बहुत ही अच्छा काम कर रहे हो, मैंने भी ट्रेन के डिब्बों में घुमकर कुछ पैसा मांग कर रखा हूँ आपलोग इसे रख लो किसी गरीब को मेरे तरफ से खाना खिला देना।” वे सिक्के करीब बीस — पचीस रुपए ही थे। उसका मन बहुत ही प्रसन्न हो रहा था। चेहरे पर एक आशा कि चमक निकल रही थी। हमलोगों के मना करने के बावजूद भी उसने नहीं माना और वो मुझे पैसा लेने पर विवष कर दिया। उस ब्यक्ति का यह बिचार अपने समाज और देश के प्रति वफादारी मेरे मन को छू गया। हमें उस दिन लगा दानी होने के लिए शायद धनवान होना जरूरी नहीं है। अन्तर्मन से भी धनी होकर समाज और राष्ट्र की सेवा कि जा सकती है।
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